बृहदेश्वर मंदिर से जुड़े रोचक बातें – हमारे देश के मंदिर भारत के इतिहास के बारे में बहुत कुछ बताते है इसलिए हमें देश मे स्थित सभी प्रशिद्ध ऐतिहासिक मंदिरों के सम्बंध में समुचित जानकारी होनी बेहद जरूरी है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको विश्व के प्रमुख ग्रेनाइट मंदिरों मे से एक बृहदेश्वर मन्दिर के सम्बंध में जानकारी प्रदान करने वाले है।
यह मंदिर तमिलनाडु के तंजौर ज़िले में स्थित है जिसका निर्माण ग्यारहवीं शताब्दी में राजराज चोला प्रथम के द्वारा किया गया था। आज लोग इससे राज-राजेश्वर, राज-राजेश्वरम के नाम से भी जानते है। आप सभी ने भी इस मंदिर का नाम आवश्य सुना होगा।
Table of Contents
शिव भगवान को समर्पित है बृहदेश्वर मन्दिर
सभी भगवान में श्रेष्ठ माने जाने बाली भगवान शिव का निर्माण तमिलनाडु के तंजौर ज़िले में सावरी नदी के पास किया गया है जिंसमे भगवान शिव की एक बहुत ही विशाल प्रतिमा का निर्माण किया गया है। जिससे बृहदेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है।
चोल शासकों के द्वारा इस मंदिर को राजराजेश्वर मंदिर के नाम से नमाज उसके बाद मराठा शासकों ने इस मंदिर को बृहदीश्वर नाम दे दिया था। जो आज पूरे विश्व मे सबसे प्रचलित शिव मंदिरों में से एक माना जाता है।
Read More – एलोरा की गुफाओं से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां
बृहदेश्वर मन्दिर का इतिहास
चोल शासक महाराजा राजराज प्रथम भगवान शिव के परम भक्त थे, जिसकी वजह से उन्होंने केवल 5 वर्षों में ही अपने राज्य में बृहदेश्वर मन्दिर का निर्माण केवल 5 वर्षो में राजराज प्रथम के द्वारा कराया गया था जिसकी बजह से इस मंदिर को राजराजेश्वर मन्दिर के नाम से जाना जाने लगा।
जिस समय इस मंदिर का निर्माण किया गया था उस समय इसे विशाल संरचनाओं वाले मंदिरों में गिना जाता था और आज भी इससे UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साईट के द ग्रेट लिविंग चोला टेम्पल के 3 मंदिरों में गिना जाता है।
बृहदेश्वर मंदिर से जुड़े रोचक बातें
अगर आप भारत के बृहदेश्वर मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो आपके लिए दिए गए महत्वपूर्ण बिंदुओ को ध्यानपूर्वक पढ़ना जरूरी है।
- इस मंदिर के निर्माण में ,30,000 टन ग्रेनाइट का इस्तेमाल किया गया है। जबकि जहाँ इस बृहदेश्वर मंदिर की स्थापना की गई है वहाँ दूर दूर तक ग्रेनाइट नही पाया जाता है इसलिए आज भी यह रहस्यमय बात है कि इतनी बड़ी मात्रा में ग्रेनाइट कहाँ से लाया गया था।
- इस मंदिर के शिखर पर स्वर्णकलश स्थित है। तथा कई गुंबद का निर्माण किया गया है जिसकी बजह से जब इस मंदिर की परछाई लोगों को आश्चर्यचकित करती है।
- 1 अप्रैल 1954 में भारत सरकार द्वारा इस मंदिर के 1000 साल पूरे होने पर ₹1000 का नोट जारी किया गया था जिसमें इस मंदिर की तस्वीर को लगाया गया था जिसकी वजह से यह नोट काफी लोकप्रिय हुआ।
- 20 अप्रैल 2015 को इस मंदिर के रथ की विपरीत दिशा में स्थित रामार मंदिर को निकाला गया था तथा इसके ठीक 9 दिन के बाद इस जगत के ऊपर देवताओं को मूर्ति को स्थापित करके पूरे राज्य में घुमाया गया था जिसमें हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था
निष्कर्ष
बृहदेश्वर मंदिर जितना भव्य और विशाल बना हुआ है उतनी ही भव्य इसमें प्रतिमाएं और विशेष कलाओं को देखने को मिलता है जो लोगों को आश्चर्यचकित करने के लिए काफी है। उम्मीद करते हैं कि आपको आज का हमारा लेख पसंद आया होगा अगर आपको हमारा लेख पसंद आया है तो कमेंट सेक्शन में अपनी राय हमारे पास जरूर शेयर करें